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गरु ु पर्व और बाल दिर्स

28 / Nov

भारत त्योहारों का िेश है हर त्योहार अपनेसाथ अपनी खदुशयांलेकर आता है और अपने मनाने की खशुी केसाथ क्यों और कैसे मनाया जाताहैयह संिभवभी बताकर जाता है। हमारेदर्द्यालय मेंसभी धमों केप्रदत सम्मानरखतेहुए सभी धमों केत्योहारों को मनाया जाता है इसी क्रम को जारी रखतेहुए हमारेकेजी केदर्भाग नेभी गरुुपर्वऔर बाल दिर्स को अदत हर्व और उल्लास से मनाया गया।
दजसमेंबच्चों को गरुुनानक िर्े जी केद्वारा दिए गए तीन प्रमखु संिेश को बताया और समझाया गया - कीरत करो , "नाम जपो" और "र्ंड चखो", गरुु केपंज प्यारों केसंिुर पोशाक मेंऔर अपनेपारंपररक पररधान मेंकुछ बच्चों द्वारा "प्रभात फे री" दनकाली गई और प्रत्येक कक्षा मेंजाकर गरुुनाम दसमरन दकया गया। कुछ अदभभार्कों द्वारा भेजेगए "कडा प्रसाि" को बच्चों ने बडे चार् से ग्रहण दकया।
गरुुपर्वकेसाथ बाल दिर्स दिर्स को भी मनाने का संिभवसमझाया गया पदंडत जर्ाहरलाल नेहरु केजन्मदिन को खास तौर पर बच्चों का दिन क्यों कहा जाता है इस पर भी जानकारी िी गई। "प्रथम प्रधानमंत्री" केऔर "चाचा नेहरु" केरूप मेंउनकी भदूमका को बताया गया।
बच्चों केदलए "टाय ट्रेन" और बाउंसी का प्रबंध दकया गया बाउंसी पर उछल उछल कर बच्चोंनेखबू आनंि दलया और टाॅ य ट्रेन पर चक्कर लगातेसमय उनका उत्साह िेखनेलायक था। बच्चोंनेचाचानेहरु केमनपसंि गलुाब केफूल र्ाले"बैच" मेंरंग भरा गया और उसेअपनी पोशाक पर लगा कर र्ह बहुत खशु हुए। उनकी यह खशुी और भी िोगनुीहो गई जब उन्होंनेकक्षा मेंकुछ खेल भी खेलेऔर नाचेगाए । सच मेंउनकी खदुशयोंने,उनकेउत्साह ने"बाल दिर्स" के नाम को साथवक कर दिया